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कमल पुष्प का योग

कमल का जन्म होता तो कीचड़ में ही है उसका मूल उसकी जड़े भी हमेशा कीचड़ में ही रहती है पर जब कमल अपनी परिपूर्णता को पा लेता है अपने अस्तित्व के सत्य को पहचान लेता है तो तब वह जल व उसके कीचड़ से अलिप्त हो जाता है भले उसके जीवन का कारण वह जल और वह कीचड़ ही होता है और उसका भरण पोषण भी उसी जल और कीचड़ से होता है फिर भी वह अपनी परिपूर्णता के स्थिर स्वभाव के कारण जल और कीचड़ से अलिप्त ही रहता है फिर भी जब जल की बूंदे उसकी पत्तियों पर बैठ जाती है तब भी कमल न तो उनका आदर करता है ना ही अनादर करता है इसी कारण कमल की पत्तियों पर रहने वाली बूंदे हीरे से भी ज्यादा चमकीली होती है अनासक्त प्रेम की इससे सुंदर और कोई अन्य व्याख्या नहीं हो सकती
हर कमल में यह सामर्थ्य होता है और यही हर कमल का वास्तविक स्वभाव भी होता है पर यह बात हर मनुष्य पर लागू नहीं है क्योंकि सामर्थ्य तो हर मनुष्य में है पर ऐसा स्वभाव हर मनुष्य के पास नहीं है
ग्रंथों का ज्ञान और ईश्वर का आदेश यही है कि मनुष्य कुछ भी ना चाहे यह ना चाहना सब कुछ प्राप्त करा देता है पर सब को सब कुछ की चाह नहीं है हम सबको केवल कुछ की ही तलाश है हम हमेशा कुछ की तलाश में ही जीते हैं उसी के लिए सदैव प्रयत्नशील रहते हैं पर कभी प्रकृति के अनासक्त भाव और अलिप्तता के परिपूर्ण संदेश को समझने की चेष्टा नहीं करते
अगर हमारे हृदय में प्रेम नहीं होता तो कभी घृणा भी नहीं होती प्रेम और घृणा हृदय के प्राकृतिक स्वभाव है प्रेम का दिव्य स्वरूप अनासक्त और अलिप्तता मैं सदैव विद्यमान है और इसे थोड़ी सी चेष्टा कर प्राप्त भी किया जा सकता है बस थोड़े से श्रम और संघर्ष की आवश्यकता है
जय श्री कृष्णा
#chetanshrikrishna

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6 Comments

बेहतरीन संदेश देता हुआ लेख Superr से भी बहुत बहुत uperr

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Seema Priyadarshini sahay

21-May-2022 04:28 PM

शानदार

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Neelam josi

21-May-2022 04:08 PM

Very nice 👌

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